राजस्थान के अन्य शहरों में फैला सीकर किसान आंदोलन

राजस्थान के सीकर में हजारों किसानों ने विभिन्न मांगों को लेकर निकाली किसान राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में विगत कुछ दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम के नेतृत्व में चल रहे महापड़ाव की गूंज अब राजस्थान के दूसरे जिलों में सुनाई देनी लगी है। वहां के किसान और किसान संगठन भी किसानों की इन मांगों के पूरे नहीं होने पर गुस्से में है। वे आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। कुछ महीने पहले भी सरकार की ओर से बढ़ाई बिजली दरों को लेकर भी पूरे प्रदेश में इसी तरह के किसान आंदोलन चले थे। तब सरकार ने घबराकर किसानों की बिजली दरें वापस ली। अब फिर से वैसा ही आंदोलन फिर से शुरु हुआ है। सीकर से शुरू हुआ यह आंदोलन अब धीरे धीरे राजस्थान के 14 ज़िलों में फैल गया है। सीकर में रोज़ सभाएं हो रही हैं, रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हो रहा है। दस सितंबर को ज़िले के प्रभारी मंत्री से सीकर सक्रिट हाउट में बातचीत हुई मगर असफल रही।  उसके बाद किसानों ने चक्का जाम का फैसला किया। 
भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में हो रहे  किसान आंदोलन की अगुवाई पूर्व विधायक अमराराम और पेमाराम कर रहे हैं। निर्दलिय विधायक हनुमान बेनीवाल एवं राजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है। श्रीगंगानगर में आंदोलन कर रहे किसानों को सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव ने संबोधित किया,उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग करते हुए कहा कि इस देश में किसानों के साथ अन्याय हो रहा है । बीकानेर,चूरू,झुंझुनूं जिलों में भी भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने महापड़ाव डाल रखा है । इस आंदोलन की सबसे खास बात यह है कि बीजेपी के समर्थक माने जाने वाले छोटे व्यापारियों का भी समर्थन किसानों को मिल रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उन्हें 3 रुपए किलो प्याज खरीदकर बाजार में ग्राहकों को 30 रुपए किलो में बेचा जा रहा है।  उन्हें इस वजह से फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है। फसल की सही कीमत नहीं मिलने की वजह से किसान बैंकों और स्थानीय साहूकारों से लिए गए कर्ज को लौटाने में असमर्थ हैं। 
किसानों की यह भी मांग है कि मोदी सरकार स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करे, जिसमें यह कहा गया था कि किसानों को फसल उत्पादन की लागत पर 50 फीसदी का लाभ मिलना चाहिए और हाल के दिनों में जो पशु बिक्री के लिए कानून बनाए गए हैं उनमें संसोधन किया जाए। पीएम मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में इस समिति की सिफारिशों को लागू करने का वादा भी किया था। किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनीती हुई है। चुनावी साल में राजस्थान में रोजगार एवं सरकारी नौकरी के मुद्दे पर विरोध झेल रही वसुंधरा सरकार के लिए किसान एक नई परीक्षा है। 

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